लेखनी प्रतियोगिता -05-Jun-2022 हम बने पर्यावरण के रक्षक
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-हम बने पर्यावरण के रक्षक
वृक्षों को तुम खूब लगाओ,
पर्यावरण को तुम बचाओ,
प्रकृति को सुरक्षित कराओ,
जनता को यह पाठ पढ़ाओ।
धरती को ना बनाओ रेगिस्तान,
पेड़ लगाकर बनाओ उपजाऊ वन,
अपना फर्ज निभा हे इंसान,
चारों तरफ लगा तू पेड़ों का बांध।
*पर*
यह क्या कर रहा तू इंसान,
वृक्षों को तू काट रहा अंधाधुन,
प्रकृति से अपना नाता मिटा रहा तू,
प्रकृति होगी जब हमसे नाराज,
उठ जाएगा चारों तरफ आगाज,
होगा चारों तरह होगा हाहाकार।
जब होगा चारों तरफ प्रकृति का कहर,
हे इंसान! फिर तू नहीं कर पाएगा सहन,
हो जाएगा सब कुछ तहस-नहस,
हे इंसान! कर तू अब रहम।
करोना काल में भुगत चुका है,
ऐसी महामारी से जूझ चुका है,
हे इंसान! अब तो कुछ कर,
नहीं बुलानी ऐसी महामारी,
जिससे हो विनाशकारी।
नहीं मिलेगा ऑक्सीजन,
नहीं मिलेगा औषधि,
नहीं मिलेगा हवा पानी,
रुक जाएंगी है इंसान सांसे तुम्हारी,
अभी वक्त है थम जा तू जरा।
हे इंसान!
वृक्ष ही धरती की शान है,
प्रकृति का ये मान है,
हर तीज त्योहारों की आन है,
पर्यावरण हम सबकी जान है।
हे इंसान!
अब दिखा तू तेरी इंसानियत,
हमें बनना है पर्यावरण का रक्षक,
नहीं बनना है हमें उसका भक्षक,
करो तुम अपने जीवन में मनन,
हिंदू धर्म सिखाता धरती का पूजन,
निर्जन नहीं बनाना है जंगल,
हमें बने पर्यावरण के सर्जन।
हे इंसान!
पेड़ लगाओगे तुम,
धरती को बचाओगे तुम,
तभी कर पाओगे बसेरा तुम।
हे इंसान!
आज हम मिलकर कसम खाते,
पर्यावरण को हम स्वच्छ बनाये,
सब कचरा हम डस्टबिन में डाले,
चारों तरफ हम पेड़ लगाये,
प्रदूषण को हम दूर भगाएं,
जीवन को हम सुरक्षित बनाएं।
Niraj Pandey
07-Jun-2022 12:16 AM
बहुत खूब
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Seema Priyadarshini sahay
06-Jun-2022 10:48 AM
बेहतरीन रचना
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Punam verma
06-Jun-2022 09:07 AM
Nice
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